बस का सफ़र एक अजनबी के साथ Part - 3

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बस का सफ़र एक अजनबी के साथ - Part - 3

अगले दिन वो अपने बारे में बताने लगा, सुमन ओर मैं कॉलेज में मिले थे, वो बहुत समझदार है, कुछ मुलाकातों के बाद ही हमने शादी का फैंसला कर लिया , मेरी जॉब लग गई, वो भी नोकरी करना चाहती थी मैंने मना कर दिया, मैं जॉब कर रहा हूँ तुम्हें क्या जरूरत है, वो मान भी गई, कभी-कभी घर के कामों से वो भी परेशान हो जाती है, मगर शाम को फ़ोन पर मुझे सब बता देती है, उसका मन हल्का हो जाता है, फिर खुद ही कह देती है बात तो कुछ नहीं थी मैं ऐसे ही परेशान हो गई ।

उस दिन उसी की बातों में सफ़र निकल गया । मैं बैठी उसे सुनते हुए ओर सोच रही थी, जब बातें दिल में दबने लगें तो जिंदगी में घुटन हो जाती है, जब वही बातें किसीके साथ share हो जाये तो जिंदगी आसान हो जाती है । चाहे उसने मेरी कोई मदद नहीं करनी थी मगर उसने मेरी बातें सुनी तो सही, आज कल  जिंदगी में अपने दिल की बातें सुनने  वालों की कमी हो गई है, इसी लिए आज इंसान बिना मतलब की परेशानियों से परेशान है ।

अगले दिन जब मैं बस में चढ़ी तो काफ़ी भीड़ थी, वो मुझसे काफ़ी दूर था, आज वो बहुत खुश लगा रहा था, जैसे मुझे कुछ बताना चाहता है, मेरा स्टॉप आ गया मैं बस से उतार गई, वो भी वहीं पर उतर गया और बोला मैं आपको कुछ बताना चाहता हूँ, मैं भी सुनना चाहती थी मगर मेरी क्लास का समय हो रहा था, मैंने कहा कल बात करते हैं, उसने कहा कल तो मैं चला जाऊंगा, मैंने कहा ओह परिवार से मिलने जा रहा हो, उसने कहा ऐसा ही समझ लीजिए, मैंने कहा मैं 11 बजे से 11:30 तक फ्री होती हूँ सामने रेस्टोरेंट में मिलते है , अभी मैं चलती हूँ, उसने कहा ठीक है मैं भी ऑफीस होकर आता हूँ ।

11 बजे जब मैं कॉलेज के सामने वाले रेस्टोरेंट में पहुंची वह पहले से ही मेरा इंतज़ार कर रहा था, उसने मुझे बैठने को कहा, उसने कहा यहाँ क्या अच्छा मिलता है आपको पता होगा आप ऑडर कीजिए, मैं कहा कुछ नहीं हम सिर्फ चाय पीते हैं और बताइए आप क्या बताना चाहते थे ।

उसने बहुत ही खुश होते हुए बताया कि उसकी प्रमोशन हो गई है, मैंने उसे congratulation कहा, वो बहुत खुश था, उसने कहा अब मैं अपने परिवार के साथ रह सकूंगा क्योंकि मेरा transfer भी मेरे शहर में हो गया है, मैं उसे खुश देख खुश थी, मगर दिल के किसी कोने में दर्द भी था , एक अजनबी दोस्त के छीन जाने का , वो कह रहा था कभी आप हमारे घर आना मैं आपको सुमन से मिलाऊँगा, वो आपको जानती है, मैं हर शाम जब उससे बात करता हूँ तो आपके बारे में जरूर बताता हूँ । वो भी आपसे मिलना चाहती है । मैंने कहा कभी मौका मिला तो जरूर मिलूंगी, मेरी अगली क्लास का समय हो चुका है कहते हुए मैं उठने लगी तो उसने कहा मैं आज शाम को ही जा रहा हूँ, यह हमारी आखरी मुलाकात है, मैं बिना कुछ कहे कॉलेज की तरफ़ चल दी ।

वो मुझे बिना बताए भी जा सकता था, अगर ऐसा होता तो जाने कितने दिन मेरी आँखें बस में उसे ढूंढती रहती, मन में कितने ही तरह के विचार पैदा हो जाते, वो एक अच्छा इंसान था, इससे बातें कर मुझे एहसास हुआ दिल में दबी बातें जिंदगी को मुश्किल कर देती हैं, हमें परिवार में कुछ समय सब की बात सुननी चाहिए अगर हम किसीकी बात सुनेंगे तो वो हमारी बात सुनेगा ।

इन अनजान मुलाकातों के दौर ने मुझे कितना ही कुछ सीखा दिया, ना उसने मुझ कभी कुछ समझाया ओर ना ही मैंने उसे । वो अपनी पत्नी की बातें सुनता था, उसे समझता था, यहाँ तक कि उसने मेरे बारे में अपनी पत्नी को कितना कुछ बता रखा था, उनके रिश्ते में विश्वास था जिसकी आजकल बहुत कमी हो गई है ।

वो चला गया, मैं आज भी उसी बस में सफ़र कर रही हूँ, पहले से शांत हूँ, खुश हूँ ।

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