दो सहेली अलग ही मुड़ में (A hot Story)

हिंदी कहानी


इस स्टोरी को पड़ने से पहले आपको Husband wife ki Sunday Masti जरूर पड़नी चाहिए ।

दो सहेली अलग ही मुड़ में 
(two friends in different turns)

कशिश को कुछ नया करने में बहुत मझा आता है, पति के आफिस जाने के बाद वो घर में अकेली होती है, उस दिन वो कपड़े धो रही थी और उसने सोचा जो कपड़े उसने पहन रखे हैं यह भी तो धोने हैं, उसने एक-एक कर सभी कपड़े उतार कर वॉशिंग मशीन में डाल दिये । अब वो बिना कपड़ों के थी, वो ऐसे ही घर के काम करती रही, वो कभी-कभी खुद को शीशे में देखती ओर फिर काम में लग जाती, वो भूल गई कि रोहित (उसका पति) के आफिस जाने के बाद उसने दरवाजे की कुंडी नहीं लगाई । वो पूरी मस्ती में घर का काम निपटा रही थी, उसने सोच लिया था कि अब तो पूरा काम ख़त्म कर नहाने के बाद ही कपड़े पहनेगी । वो सोच रही थी घर में अकेले होने का भी फायदा है जैसे मर्जी रहो, कुछ पहने न पहनो सब अपनी मर्जी है न कोई रोकने वाला न कोई टोकने वाला ।

वो किचन के बर्तन संभाल ओर वाशिंग मशीन से कपड़े निकाल ही रही थी उसे लगा किसीने दरवाजा खोला है, उसे याद आया उसने कुंडी तो लगाई ही नहीं, अभी वो कुछ और सोचती उतने में आवाज आई कशिश तुम कहाँ हो, कशिश ने लंबी सांस ली अरे सुमन तुम, मैं कपड़े धो रही हूँ, कशिश अभी बोल ही रही थी सुमन उसके पास आकर खड़ी हो गई, (सुमन कशिश की सहेली थी जो पड़ोस में रहती थी)

सुमन: कशिश लगता है तुम कपड़े पहनना भूल गई,
कशिश: पहले यह बताओ तुमने कुंडी लगा दी
सुमन: नहीं
कशिश: पहले कुंडी लगा कर आओ
सुमन: ठीक है

सुमन कुंडी लगाकर आ गई

कशिश: कुछ नहीं सुमन, मैं कपड़े धो रही थी अचानक ख्याल आया जो कपड़े पहने है वो भी धोने हैं, मैंने उतार कर मशीन में डाल दिये, फिर मैंने सोचा नहा कर ही कपड़े पहनुगी और इतने में तुम आ गई ।
सुमन: यह तो मैं थी कोई और भी आ सकता था ।
कशिश: मेरे याद ही नहीं रहा दरवाजा खुला है ।

सुमन कशिश के बदन को छूते हुए तुम तो बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारा हर अंग अपनी परफेक्ट शेप में है, मेरा बदन तो अब ढीला पड़ने लगा है ।

कशिश:  कोई बात नहीं कभी अच्छी तरह से देखूंगी,
सुमन: कभी क्या अभी दिखा देती हूँ,
कशिश: रुको, पहले यह कपड़े छत पर डाल कर आओ थोड़ी हवा लग जायेगी,
सुमन: ठीक है,

अब सुमन के अन्दर भी कुछ-कुछ होने लगा, उसका मन भी कशिश की तरह बिना कपड़ों के घर में घूमने ओर काम करने का कर रहा था, मगर सुमन की फैमली पूरी फैमली साथ रहती थी इस लिए वो सिर्फ सोच सकती थी कर नहीं सकती थी ।

जब तक सुमन छत पर कपड़े डाल कर आती कशिश नहाने चली गई, नहाने के बाद कशिश ने चाय बनाई और दोनों बातें करने लगे ।

सुमन: यार मेरे अंदर कुछ-कुछ हो रहा है,
कशिश: क्या
सुमन: पता नहीं कल को बताऊंगी

इतना कहते हुए सुमन अपने घर चली गई,

अगले दिन रोहित के आफिस जाने के बाद सुमन फिर कशिश के घर आ गई, कशिश किचन में थी,

सुमन: तुम यहाँ हो, मुझे लगा कपड़े धो रही होगी,
कशिश: मुझे पता है तेरे अंदर कुछ-कुछ क्या हो रहा है,
सुमन: पता है तो कुछ कर ना,
कशिश: तू बता न, क्या करना है,
सुमन: पहले कपड़े उतारो फिर देखते हैं क्या करना है ।

कशिश अभी कुछ सोच ही रही थी कि सुमन ने एक-एक कर अपने सभी कपड़े उतार कर साइड में फैंक दिया, कशिश ने सुमन को देखा और बोली अरे वाह, तुम कल मुझे उल्लू बना रही थी, तुम्हारा बदन तो लाजवाब है, कशिश ने सुमन की छाती पर हाथ फेरते हुए कहा इनका साइज तो मुझसे काफी बड़ा है, सुमन को एक अलग ही सकूं मिल रहा था, सुमन ने कशिश को इशारा करते हुए कहा , अब इन कपड़ों की कैद से तुम भी बाहर आ जाओ, कशिश ने भी अपने सभी कपड़े उतार दिए , ओर किचन का काम करने लगी, सुमन उसकी मदद करने लगी, काफी देर दोनों काम करती रही, सुमन आज एक अलग ही दुनिया में थी, उसके शरीर के हर अंग में गुदगुदी हो रही थी, वो उड़ रही थी,

कशिश: एक बात बताऊं
सुमन: बताओ
कशिश: इस sunday मैंने पूरा दिन कपड़े नहीं पहने ओर पूरा दिन मैंने ओर रोहित ने खूब मस्ती की

कशिश ने सुमन को sunday की पूरी कहानी सुनाई, (पूरी कहानी पड़ने के लिए इस पर क्लिक करो) सुमन के अंदर ओर तूफान उठने लगे, वह पूरी तरह कामुक हो गई, सुमन ने कशिश का हाथ अपनी छाती पर रखते हुए कहा, तुम्हारे तो मजे हैं हमारी जिंदगी तो बीत गई, कशिश ने कहा तुमने बच्चे तो पैदा कर लिए अब तो मजे लेने हैं तो हम कुछ करते हैं, सुमन ने पूछा क्या ? कशिश ने कहा आज सोचती हूँ कल कोई प्लैनिंग करेंगे ।

3 घंटे कब बीत गए दोनों को पता भी नहीं चला, सुमन तेजी से उठी और कपड़े पहनने लगी, कपड़े पहन कर सुमन ने कशिश से कहा मैं चलती हूँ, कुछ अच्छा सा सोचकर रखना मैं कल आऊंगी ।

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आज की कहानी यहीं तक, आगे की कहानी जल्द ही पोस्ट की जाएगी ।

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