वो एक रात (an exciting story )

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उस रात ऐसा पहली बार हुआ था कि मैं अकेली घर पर थी, Papa पहले ही बाहर गए हुए थे, Mom को अचानक किसी रिस्तेदारी में जाना पड़ा, मैं उत्सुक भी थी और पहली बार घर में अकेले रहने का थोड़ा डर सा भी लग रहा था, डर कम था दिल में एक्साइटमेंट ज्यादा थी ।

Mom मुझे अच्छी तरह समझते हुए घर से चली गई मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया और सोचने लगी अब मुझे क्या करना चाहिए । उस रात मैंने कितनी ही अजीबोगरीब हरकतें की, देखतें है यह रात कहाँ से शुरू हुई और कहाँ ख़त्म हुई ।

वो एक रात

Mom के जाने के बाद मेरा मन पापा की नकल करने का हुआ, वो कभी-कभी घर ही एक-दो पैग लगा लेते थे या कभी बीआर पी लेते थे, मैंने टेबल सजाना शुरू किया , मैं पापा के कमरे से विस्की की बोतल उठा लाई ओर टेबल पर रख दी, एक ग्लास, पानी और आइस सब कुछ रख लिया, फ्रिज से कुछ फ्रूट, सलाद बगैरा रख लिया । टेबल पूरा सजा हुआ नजर आ रहा था ।


फिर मेरे मन में ख्याल आया की आज मुझे अपनी फेवरेट ड्रैस पहननी चाहिए, वो ड्रैस कुछ खास थी, किसीने गिफ़्ट की थी, मैं उसे घर में सबके सामने पैहन नहीं सकती थी, एक बार सिर्फ अपने कमरे में पहन कर देखी थी, मैं जल्दी से अपने कमरे में गई और ड्रैस निकाल पहन ली , आज मैं यह ड्रैस पहन पूरे घर में घूम सकती थी, आज मैं आज़ाद थी मुझ पर कोई पाबंदी नहीं थी ।

अभी मैं कमरे में ही थी कि अचानक डोरबेल बजी, मैं घबरा गई, मैंने जल्दी से उस ड्रैस के ऊपर ही एक ओर ड्रैस पहनी ओर दरवाजे की तरफ भागी तो देखा वो तो जो मैंने पिजा ऑडर किया था उसे देने डीलीवरी बॉय आया था, मेरी जान में जान आई, आपको क्या बताती मैं तो खुद ही भूल गई थी मैंने पिजा ऑडर किया है ।

मैंने दरवाजा बंद किया और अपनी फेवरेट ड्रैस के ऊपर जो ड्रैस पहनी थी उसे उतारा, अब मैं खुद को देख रही थी, क्या बताऊँ बहुत खूबसूरत लग रही थी वो ड्रैस मुझ पर, इतनी छोटी या अजीब भी नहीं थी, मगर घर वाले मुझे ऐसी ड्रैस पहनने नहीं देते थे । अब मैं अपने ड्रीम टेबल के पास आ गई, मैं सोफे पर बैठी मैंने पहले ग्लास उठाया ओर फिर विस्की की बोतल , मैंने ग्लास में थोड़ी सी विस्की डाली, फिर आइस डाली और फिर पानी डाला, बिल्कुल पापा की नकल कि । जब तक पहला घूंट ना भर लिया पता ही था  यह वला इतनी कड़बी है । दो घूंट के बाद ग्लास टेलब पर रख दिया, थोड़ी देर बाद फिर दिल किया जो ग्लास में डाली है उसे तो ख़त्म करूँ, मैंने पूरा ग्लास पी लिया ।

अब थोड़े चक्र आने लगे, मन किया थोड़ा म्यूजिक हो जाये, मैंने गाने चला लिए , पता नहीं कब मैंने फिर ग्लास उठाई और फिर से उसमें विस्की डाल ली, अब मैं नाच रही थी, मैंने दूसरा ग्लास ख़त्म कर रख दिया,  मैं लड़खड़ा रही थी , वहाँ रखा सामान इधर-उधर विखरने लगा । मैं अपनी फेवरेट ड्रैस में ही सोफे पर सो गई ।

अचानक एक तेज आवाज आई, मैं घबराहट में उठी मेरे Mom मेरे सामने खड़ी थी, मैंने कहा आप कब आई ? मैं तो सोफे पर सोई हुई थी ? मेरे चहरे पर डर था होल में सारा सामान बिखरा पड़ा होगा ओर वो पापा वाली विस्की ओर मेरी ड्रैस, अभी मैं सोच ही रही थी Mom बोली कोई सपना देख रही थी क्या ? आज कॉलेज नहीं जाना ? मैंने चैन की सांस ली, शुक्र है कि सपना था ।

यहाँ पर यह कहानी समाप्त हो जाती है ।

उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी, इस कहानी में दो चीजें छुपी हैं, एक माँ बाप को अपने बच्चे के सामने वो काम नहीं करने चाहिए जो वो नहीं चाहते कि उनके बच्चें करें क्योंकि बच्चे कभी न कभी नकल करने की सोच ही लेते हैं । दूसरी बात बच्चों पर पाबंदी किस हद तक ही सही है उन्हें जमाने के साथ चलने की आज़ादी दी जानी चाहिए ।

बस का सफ़र एक अजनबी के साथ ।

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Hello

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