Love story in hindi
वो किसी ओर शहर से थी, उसे जिस से प्यार हुआ वो किसी ओर शहर से था । ना पहले कभी मिले थे ना पहले कभी देखा था । एक पल की मुलाकात ने जिंदगी बदल दी, अगर वो एक पल ना होता जिंदगी में तो वो दोनों अजनवी होते एक दूसरे के लिए ।
उस एक पल की कहानी
बस, ट्रेन, ऑटो ओर अनजान रास्तों ने उस दिन उन्हें मिलने की कसम खाई हुई थी, यह प्रेम कहानी खुद कुदरत की लिखी हुई थी, ट्रेन निकली तो बस का सफ़र शुरू हुआ कोई ऑटो न मिला तो वो पैदल चल पड़ी, कुदरत ने उसे कहाँ लेकर जाना था उसे भी पता नहीं था ।
वो फुटपाथ पर चली जा रही थी, पीछे से एक आवाज आज, एक ऑटो वाला ने पूछा दीदी कहाँ जाना है वो ऑटो में बैठ गई और बोली अगले चोंक से कुछ आगे जाना है, वहाँ छोड़ दो, चोंक निकले के बाद उसने पर्स में से 20 रुपये निकाल मोबाइल के साथ हाथ में पकड़ लिए, थोड़ी देर बाद उसने ऑटो वाले से कहा बस यहीं साइड में रोक लो मुझे यहीं उतरना है , ऑटो रुकते ही एक नोजवान ऑटो की तरफ़ बड़ा और वह उससे टकराते-टकराते बची, उसने सॉरी कह ओर आगे निकल गई ।
नोजवान ऑटो में बैठ गया मगर अभी भी उसके कानों में वह सॉरी के शब्द गूंज रहे थे, वह सोच रहा था आवाज इतनी प्यारी है खुद कितना खूबसूरत होगा, काशश उसने उसका चहरा देखा होता, अभी वह कुछ सोच ही रहा था उसका हाथ किसी चीज पर लगा, उसने देखा सीट पर एक पर्स पड़ा है, वह सोचने लगा वह लड़की इसी ऑटो से उतरी थी यह उसी का पर्स है उसने ऑटो वाले से 20 रुपये देते हुए कहा मुझे कुछ काम याद आ गया मुझे यहीं उतार दो, वह बापिस उसी जगह आ गया यहां से ऑटो पकड़ा था उसे वहां वह लड़की नहीं दिखी ।
अब वह सोच रहा था कि पहले वह उसे नहीं देख पाया शायद इसी लिए कुदरत ने उसे फिर से मिलने का मौका दिया है, वह पर्स में देखने लगा शायद कुछ मिल जाये पर्स में कुछ आई कार्ड थे उसने आई कार्ड निकाल कर पर्स बंद कर दिया, उसे एक कार्ड पर उसका पता ओर मोबाइल नंबर मिल गया, उसने वह कार्ड हाथ में पकड़ा और बाकी कार्ड जेब में रख लिए , उसने अपना मोबाइल निकाला और लड़की का नंबर मिलाया,
Pyar ki kahani hindi me
हैलो मैं राहुल बोल रहा हूँ,
क्या आज आपका कुछ खो गया है,
लड़की ने कहा नहीं तो ओर फ़ोन काट दिया ।
राहुल फिर उसकी आवाज में खो गया, कितनी प्यारी आवाज है , राहुल सोचने लगा क्या यह पर्स उसका नहीं है या उसे अभी पता ही नहीं की उसका पर्स कहीं खो गया है, राहुल की उसे देखने की जिद्द ने उसे वहीं रुकने के लिए मजबूर कर दिया, राहुल एक चाय के ठेले के पास खड़ा हो कर इंतजार करने लगा कि जब उसे पर्स की जरूरत पड़ेगी तब उसे पता चलेगा कि उसका पर्स खो गया है और उसे मेरी याद आएगी की किसी का फ़ोन आया तो था जो पूछ रहा था " क्या आज आपका कुछ खो गया है " करीब एक घण्टे बाद राहुल के फोन पर फोन आया ,
हैलो क्या आप मेरे पर्स की बात कर रहे थे,
राहुल : हाँ
लड़की: हाँ वह मेरा ही है आप कहाँ हैं,
राहुल: यहाँ आप ऑटो से उतरी थी मैं वहीं आपका इंतजार कर रहा हूँ,
लड़की: मैं अभी आती हूँ ।
करीब 10 मिंट बाद वह लड़की उसी जगह आ गई ओर राहुल को ढूढ़ने लगी, राहुल ने उसे देखा और उसकी ओर बड़ा , मैं राहुल , आपने फ़ोन किया था लड़की ने पूछा, राहुल ने कहा हाँ, सॉरी आपने फोन किया फिर भी मैंने देखा नहीं मेरा पर्स मेरे पास नहीं है और मैंने आपकी बात पर भी ध्यान नहीं दिया, मुझे माफ़ करना सॉरी, राहुल: नहीं-नहीं कोई बात नहीं, राहुल और वह लडक़ी चाय वाले ठेले पास चले गए, राहुल ने लड़की को पर्स देते हुए कहा क्या आप चाय लेंगी बहुत अच्छी चाय बनाते हैं यह, मैं एक घण्टे में तीन कप पी चुका हूँ । लकड़ी एक बार फिर शर्मिंदा सा होकर सॉरी कहती है आपको मेरी वजह से एक घँटा इंतजार करना पड़ा । राहुल ने कहा छोड़िए आप चाय पीजिए, लड़की ने राहुल को धन्यवाद कहा और जाने लगी, राहुल अभी भी उस से बात करना चाहता था, मगर वह ऑटो में बैठ कर वहां से चली गई । राहुल दूर तक ऑटो की तरफ़ देखता रहा ।
"कुदरत ने जिन्हें मिलाना है,
कुदरत उनके लिए कोई न कोई बहाना बना ही देती है"
राहुल अभी भी उन्ही पलों में खोया हुआ था, वह उसके आने से जाने तक हर पल कोई याद कर रहा था, उसका दिल उसी पर अटक गया, वो उन पलों से बाहर नहीं आना चाहता था, उन्ही पलों में खोया वह वहां से चलने लगा, क्या फिर कभी मुलाकात होगी वह खुद से सवाल कर रहा था ।
घंटो बीत जाने के बाद भी वो उसे ही याद कर रहा था, तभी राहुल को फ़ोन आता है वह देखता है यह तो नेहा का फोन है, राहुल की आखों में चमक आ जाती है, वह जल्दी से फ़ोन उठाता है ,
लडक़ी: हैलों मैं नेहा ,
राहुल: हैलो मैं आपके बारे में ही सोच रहा था, मेरा दिल कह रहा था आपसे फिर बात होगी,
नेहा : वो पर्स में से मुझे मेरे कुछ आई कार्ड नहीं मिल रहे,
राहुल: ओतेरी, सॉरी वो जब मैं पर्स में से आपका कोई कॉन्टेक्ट ढूंढ रहा था आपके आई कार्ड मेरी जेब में रह गए,
नेहा : कोई बात नहीं आपके पास हैं तो सुरक्षित हैं, मुझे कोई फिक्र नहीं,
राहुल: शायद कुदरत हमें फिर से मिलाना चाहती है,
नेहा: अनसुना कर कहती है, अभी तो मैं घर आ गई हूँ, मैं कल आपको फ़ोन करूंगी ,
राहुल: ठीक है मैं इंतज़ार करूँगा, वहीं चाय के ठेले पर ,
नेहा: मेरे फ़ोन आने के बाद आना,
राहुल: ठीक है
अब नेहा भी राहुल के बारे में सोच रही थी, राहुल की जो बातें वो अनसुना कर रही थी अब उसे याद आ रही थी, "शायद कुदरत हमें फिर से मिलाना चाहती है "मैं आपके बारे में ही सोच रहा था" मैं इंतज़ार करूँगा" राहुल की यह बातें याद कर नेहा खुश हो रही थी ।
अब दोनों ही सुबह का इंतजार कर रहे थे, जो पहले लेट हो जाते थे जल्दी तैयार हो गए, ट्रेन आने से पहले नेहा प्लेटफार्म पर थी, इस बार नेहा उस चाय के ठेले पर पहले पहुच गई और राहुल को फ़ोन किया,
नेहा: हैलों मैं वहीं आ गई हूँ,
राहुल: आप पहुंच भी गई
नेहा: हाँ, वो आज मैं जल्दी आ गई थी,
राहुल: 5 मिंट मैं अभी पहुंचता हूँ,
उनकी यह मुलाकात पहली मुलाकात से अलग थी, इस बाद दोनों के मन कुछ अलग महसूस कर रहे थे, इस बार दोनों एकदूसरे के साथ कुछ ज्यादा समय बिताना चाहते थे । दोनों एकदूसरे को पसंद करने लगे थे, यहां से शुरू हुई मोहब्बत अपने अंजाम तक पहुंची, कुछ समय बाद दोनों ने शादी कर ली ।
मैं यहाँ ही इस कहानी का अंत कर रहा हूँ, शायद उस एक पल को मैं अच्छी तरह लिख पाया होंगा ।
उम्मीद है आपको कहानी पसंद आएगी, अगर आपके पास अपने प्यार के बारे में कुछ है तो मुझे भेजे मैं उसे भी कहानी का रूप देने की कोशिश करूंगा ।
इसे शेयर करना न भूलें ।
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